मांगलिक दोष से प्रभावित जातक के विवाह में देरी और विवाह के बाद उसके वैवाहिक जीवन में भी परेशानियां और झगड़े बने रहते हैं। इसलिए देखा गया है कि मंगल दोष सबसे अधिक जातक के वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है। जिसके परिणामस्वरूप जीवन में अनेक कष्ट आते हैं और जातक अपने वैवाहिक सुख का आनंद उठाने से वंचित रह जाता है।
मांगलिक या मंगल दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। इस दौरान स्त्री की जन्मपत्रिका में माँ कात्यायनी व पुरुष की पत्रिका में बन रहे मांगलिक दोष के लिए भगवान विष्णु जी की पारंपरिक विधि-विधान से, एकादश सहस्त्र संख्या मंत्र का पाठ षोडशोपचार चरणों के साथ किया जाता है। पूजा में होमा (हवन) अनुष्ठान भी शामिल है, जिसमें घी, तिल, जौ और भगवान सूर्य से संबंधित अन्य पवित्र सामग्री, सूर्यादि संख्याओं का मंत्र पाठ करते हुए अग्नि को अर्पित की जाएगी। जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय है। इस पूजा का अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए, सबसे अच्छे मुहूर्त ,नक्षत्र और शुभ तिथि के अनुसार ही इसे किया जाना अनिवार्य होता है। शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा को पूरा करने के लिए, एक पुजारी यानि एक पंडित जी को नियुक्त कर पूजा को 5 या 6 घंटों में संपन्न किया जाता है।
इस पूजा को करने से जन्म कुंडली में मौजूद मंगल या मांगलिक दोष से मुक्ति मिलती है। जिसके बाद जातक के जीवन में विवाह से संबंधित आने वाली हर बाधा का अंत होता है।
नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि इसके अनुष्ठान के दौरान आप शारीरिक रूप से अन उपस्थित होते हुए भी, इस पूजा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
यह पूजा लगभग 5-6 घंटे तक चलती है, जिसमें आचार्य या पंडित जी द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।
ये पूजा सिर्फ उसी जातक के लिए होगी, जिसकी कुंडली में ये दोष बन रहा होगा।
मंगल व मांगलिक दोष निवारण पूजा हेतु, किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सहायता लेते हुए, ये सुनिश्चित किया जाएगा कि आपकी जन्म कुंडली में मंगल दोष है की नहीं। अगर कुंडली में ये दोष पाया गया तो, दोष के निवारण के लिए आपकी पूजा को एक विशेष पंडित जी को सौंपा जाएगा और उसका शुभ निर्धारित समय आपको दिया जाएगा। नामित पंडित जी एक समय में केवल एक पूजा करेंगे। इसके बाद पंडित जी या आचार्य जी, आपके व आपके परिवार का विवरण स्वयं आपसे प्राप्त करेंगे और उसके बाद ही संकल्प के साथ पूजा व अनुष्ठान शुरू होगा। पूजा शुरू होने से ठीक पहले, आपको एक कॉल लगाया जाएगा ताकि पंडित जी आपको अपने साथ संकल्प पाठ में शामिल कर सकें। यह पूजा की शुरुआत का प्रतीक है।
पूजा के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए पुनः फ़ोन के जरिए शामिल करेंगे। इस प्रक्रिया को “श्रेया दाना” या “संकल्प पूर्ति” के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।
इस पूजन में धूप, फूल, पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा, आदि विशेषरूप से उपयोग किया जाता है।
इस पूजा को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-
जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आप एक शांत स्थान में बैठकर लगातार मंगल ग्रह की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप या सुन्दरकाण्ड का पाठ कर सकते हैं। इससे मंगल का दुष्प्रभाव दूर होता है और जातक को उत्तम फल प्राप्त होते हैं।
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