शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। इसी तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था। ज्योतिष शास्त्र में शनि की भूमिका बहुत अहम मानी जाती है। शनि एक क्रूर या पापी ग्रह अवश्य है लेकिन यह हमारे कर्मों के अनुसार ही हमें फल देता है। शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। शनि की चाल सबसे धीमी चाल है।
शनि दोष के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए पूजन की अनेक विधि हैं। जिसमें सर्वोपरि व सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। शनि दोष की शांति के लिए शनि ग्रह को उनके 23000 हजार मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है। इस प्रक्रिया में पूजा शुरू होने से ठीक पहले, आपको एक कॉल लगाया जाएगा ताकि आपके पंडित जी आपको उसके साथ संकल्प का पाठ करवा सकें। यह शुरुआत का प्रतीक है। यदि पूजा के दौरान आप अपने घर में या मंदिर में हो तो, आप एक शांत स्थान में बैठकर लगातार शनि ग्रह के बीज मंत्र का जप कर सकते हैं।
शनि ग्रह की पूजा वैदिक मंत्रों के साथ पारंपरिक 23000 हजार मंत्र का पाठ करने के साथ, षोडशोपचार चरणों के साथ की जाती है। पूजा में "होमा" (हवन) अनुष्ठान भी शामिल है जिसमें घी, तिल, जौ और भगवान सूर्य से संबंधित अन्य पवित्र सामग्री व सूर्यादि संख्याओं का मंत्र का पाठ करते हुए अग्नि को अर्पित की जाएगी। जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए यज्ञ एक महत्वपूर्ण उपाय है। अधिकतम सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए, वैदिक पूजा सबसे अच्छे मुहूर्त, नक्षत्र के दिन करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा को पूरा करने के लिए, एक पुजारी यानी एक पंडित जी को नियुक्त कर पूजा को 5 या 6 घंटों में संपन्न की जाती है।
इस पूजा को करने से शनि ग्रह की नकारात्मकता दूर होती है, व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है। यदि बनते काम बिगड़ते हैं तो इस पूजा को करने के बाद बनने लगते हैं। इसके साथ ही शनि ग्रह के शुभ फल भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।
इस पूजा को करने से शनि ग्रह की नकारात्मकता दूर होती है, व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है। यदि बनते काम बिगड़ते हैं तो इस पूजा को करने के बाद बनने लगते हैं। इसके साथ ही शनि ग्रह के शुभ फल भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।
नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि पूजा करते समय आपको शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है और आप तक इस पूजा का लाभ भी प्राप्त होगा। इस भौतिक जीवन की व्यस्तता के कारण आपकी कार्य भी नहीं रुकेगा। आपका सारा काम बनता चला जायेगा।
नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि पूजा करते समय आपको शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है और आप तक इस पूजा का लाभ भी प्राप्त होगा। इस भौतिक जीवन की व्यस्तता के कारण आपकी कार्य भी नहीं रुकेगा। आपका सारा काम बनता चला जायेगा।
पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।
पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।
यह पूजा लगभग 5-6 घंटे तक चलती है, जिसमें आचार्य या पंडित जी द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
यह पूजा लगभग 5-6 घंटे तक चलती है, जिसमें आचार्य या पंडित जी द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
हर व्यक्ति के लिए यह पूजा लाभदायक है, लेकिन जो लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या से गुजर रहे हैं या जिनकी कुंडली में शनि अशुभ है उनके लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक सिद्ध होती है।
हर व्यक्ति के लिए यह पूजा लाभदायक है, लेकिन जो लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या से गुजर रहे हैं या जिनकी कुंडली में शनि अशुभ है उनके लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक सिद्ध होती है।
इस पूजन को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-
इस पूजन को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-
शनि ग्रह शांति पूजन व अनुष्ठान के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए फ़ोन या वीडियो करेंगे। इस प्रक्रिया को "श्रेया दाना" या "संकल्प पूर्ति" के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।
शनि ग्रह शांति पूजन व अनुष्ठान के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए फ़ोन या वीडियो करेंगे। इस प्रक्रिया को "श्रेया दाना" या "संकल्प पूर्ति" के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।
जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आप अपने घर में या मंदिर में एक शांत स्थान पर बैठकर लगातार “ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः‘’ का जाप कर इस पूजन से उत्तम फल प्राप्त कर सकते हैं।
जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आप अपने घर में या मंदिर में एक शांत स्थान पर बैठकर लगातार “ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः‘’ का जाप कर इस पूजन से उत्तम फल प्राप्त कर सकते हैं।
हाँ, पूजा संपन्न होने के बाद लैब प्रमाणित शनि यंत्र और सूखा प्रसाद जातक को भेजा जाएगा।
हाँ, पूजा संपन्न होने के बाद लैब प्रमाणित शनि यंत्र और सूखा प्रसाद जातक को भेजा जाएगा।
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